Friday, September 3, 2010

काश! मैं लड़का हो जाऊं


काश के मैं लड़का हो जाऊं
फिर समझूं
ये दादागिरी टाइप चीज़ क्या होती है
बिन निमंत्रण दावत उड़ाने का क्या मज़ा है
बिन गिफ्ट पार्टी में शिरकत से क्या फील होता है
बियेअर, वाइन, व्हिस्की रम
इसके साथ वीकेण का क्या मज़ा है


अबे, साले,अमा यार, कमीने जैसे शब्द मेरे लहजे में हो
दोस्तों से उधार ले ना चुका पाने का एक रुतबा
किसी ढाबे पे बिन पेमेंट खाना खाने का आनंद
वो सिगरेट के कश के साथ सारे डिशकशन
ये कैसी अनुभूति देते हैं ?




लड़की को देख दिल का लडखडाना,
गर्ल्स कॉलेज और हॉस्टल के सामने
पूरा दिन बिताना
वो बेमतलब लड़कियों का पीछा कर
मीलों की दूरी तय करना
किस तरह का अचीवमेंट है ?




बिन सूचना दिए घर से कहीं भी चले जाना
वो देर रात वापस आना
वो माँ का टोकना
पापा का मारने के लिए दौड़ना
बहन का बचाना
फिर झूठे बहाने बनाना
सुबह उठ सब भूल भाल
पुराने धंधे में लग जाना
काश! मैं लड़का हो जाऊं
तो जानू इसका मज़ा क्या है?


स्पाइकी हेअर,स्टाइलिश लुक
माल्स में रश
बाईक में गर्ल फ्रेंड
उधार की गाडी
वो ठीक दस बजे वापसी की ज़िम्मेदारी
रिजर्व में पेट्रोल
जेब में पैसे गोल
पैदल गाड़ी की ढुलाई
लौटाते वक़्त दुश्मन दोस्त
की प्रेम भरी धुनाई





साला! बेवजह एक लड़की के खातिर
फजीहत उठाई
यार! लेकिन इम्प्रेशन बन गया इस बार
नेक्स्ट वीक डेट पर आने को तैयार है
केलेंडर में वो दिन तो बड़ा ख़ास है
काश! मैं लड़का हो जाऊं तो जानू
ये कैसा सुख है ?



इनमें से कुछ नहीं किया मैंने
उठने बैठने का सलीका,
जुबां में तहजीब
आने -जाने की इजाजत
हर फैसले में हिस्सेदारी
आखिर कुछ तो सीखो जिम्मेवारी


तुम पर भरोसा है बेटा
लेकिन ये दुनिया बहुत बुरी है
और मेरी गुडिया सीधी बड़ी है
बस इसलिए तो टोकते हैं
तेरा भला सोचते हैं
इसलिए तो रोकते हैं .



सोचती हूँ शादी के बाद ही कुछ कर गुजरूँ
आजा रे कन्हया तोहे राधा बनाऊ के तर्ज़ पर
पति देव को क्यों ना लड़की बनाऊं
और खुद लड़का बन
उन्हें भी लड़की होने के मजे बताऊँ :-)


( नोट :- मेरी इस रचना का उद्देश्य लड़की Vs लड़का जैसी किसी भी जंग झेड़ने का नहीं है, हमने लिख कर आनंद लिया....आप पढ़ कर आनंद लीजिये )

24 comments:

अनिल कान्त said...

हर पैरा पढ़ते हुए होठों पर मुस्कान बिखर गयी ....
आनंद आ गया

Asha Joglekar said...

मज़ा आया पढ कर, पर ऐसे दादा टाइप के लडके से तो हर लडकी दूर ही रहेगी फिर, फिर तेरा क्या होगा कालिये ?

दीपक 'मशाल' said...

आपकी खूबसूरत पोस्ट को ४-९-१० के चर्चा मंच पर सहेजा है.. आके देखेंगे क्या?

एक बेहद साधारण पाठक said...

अच्छी रचना है
नीचे नोट लिखा देख कर एक स्वस्थ मस्तिष्क की सोच लगी
अच्छी ब्लोगिंग :)

एक बेहद साधारण पाठक said...

:)

Udan Tashtari said...

चलिये, आनन्द ले लिया.

Vandana Singh said...

haan to mohtarama lehje vaali prob to bina ladka bane youn bhi solve ho sakti hai bas delhi or up ke colleges me aa jao :P:D

..baki hasrate poori honge ya nahi vo to namumkin si lag rahin hai ..:P
par aapki ye khuvaish padhkar maja a gya kashm se :d

आपका अख्तर खान अकेला said...

bhn priyaa ji aesi duaa na maango jo aap puri hone pr preshaani men pdh jaayen are bhaayi ldka hone pr kisi ldki ne aapko dhokaa de kiya na to b aap bhi mri trh hmeshaa ke liyen akele hi akele ho jaoge isliyen bhn ji khuda ne jo bna diyaa achchaa bnaaya he yeh to hqiqi tippni he lekin duri baat yeh he ke vichar shbd or prstutikrn jo apne kiya he voh bemisaal hemubaark ho . akhtar khan akela kota rajsthan

रश्मि प्रभा... said...

ख्वाहिशें तो ज़बरदस्त हैं ..... मेरा भी दिल मचल गया , हहाहाहा

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

:):) काफी खोज बीन की गयी है विषय पर ....

वैसे दूर के ढोल सुहावने लगते हैं ...

मजेदार पोस्ट

anshumala said...

संगीता जी सही कह रही है काफी अध्ययन किया है लड़को की मटरगस्ती पर पढ़ कर आनन्द आया |

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

यह तो सामाजिक से, बहुत दार्शनिक मामला हो गया.

RAJNISH PARIHAR said...

आनंद आ गया....मजेदार पोस्ट!!

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

शिक्षा का दीप जलाएं-ज्ञान प्रकाश फ़ैलाएं

शिक्षक दिवस की बधाई

संडे की ब्लाग4वार्ता--यशवंत की चाय के साथ--आमंत्रण है…।

रचना दीक्षित said...

बहुत अलग ढंग से व्याख्या की है अच्छी लगी,आनंद आया

सुरेन्द्र "मुल्हिद" said...

very nice...!

richa said...

हाहाहा... यार एक गाना डेडीकेट करने का मन हो रहा है तुम्हें..."ये "लड़का" हाय अल्लाह कैसा है दीवाना..."
लो बना दिया तुम्हें लड़का... अब तो ख़ुश :)

Nisha said...

sach me padh kar aanand aa gaya.. bahut bahut mazedaar post hai. aur saath hi thoughtful bhi hai. bahut achcha likha hai aapne.
shukriya.

Parul kanani said...

ohh priya..kafi lambi udaan bhari hai.. :) too gud

शरद कोकास said...

मुझे कवि नासिर अहमद सिकन्दर की 3 पंक्तियो की एक कविता याद आ गई ..
" मेरे सामने थी लड़की
मैने कहा लड़का
वह खुश हुई "
मैने आपकी कविता का सही मे आनन्द लिया ।

राजेश उत्‍साही said...

सच में आनंद आया।

Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय) said...

"कहीं पढा था कि किसी स्त्री की आधी क्वालिटीज किसी लडके में आ जायें तो वो संत बन जाता है"

आपके पतिदेव भी शायद संत बन जायेंगे.. :)

बडी ही क्यूट सी ख्वाहिश..

संजय भास्‍कर said...

इस शानदार रचना पर बधाई ....जैसे मैंने पहले भी कहा है आप कुछ उचाईयों को छूती हैं यही मुझे पसंद आता है ....बहुत सुन्दर भाव भर दिए हैं आपने ....और तस्वीर के चयन में आपकी पसंद की दाद देता हूँ |

फुर्सत मिले तो 'आदत.. मुस्कुराने की' पर आकर नयी पोस्ट ज़रूर पढ़े .........धन्यवाद |

बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरना said...

हाय दइया ! ना रे ना ! ...जे कैसे कैसे मन में ख्याल आय रये हें.....छोरा बन जाबेगी तो पतो हे तोय छोरिन्न की गारी खायबें परेंगी . आजा, आज तोरे माथे पे टीका लगाय दऊँ. -मम्मी.